प्रेम और करुणा की मूर्ति – संतश्री - श्रीएकनाथ ।। Sant Shree Eknathji
प्रेम और करुणा की मूर्ति – संतश्री - श्रीएकनाथ पैठनमें सवंत १४९०के लगभग श्रीएकनाथजीका जन्म हुआ था। इनके पिता सूर्यनारायणजी और माता रुक्मणिजी थी । जन्मके कुछ काल बादही माता और पिताका देहान्त हो जानेके कारण इनका पालन-पोषण इनके पितामह चक्रपाणिजीने किया। श्रीएकनाथजी बचपनसे बड़े प्रतिभाशाली और भजननिष्ठ थे । बाल्यअवस्थामें ही इन्होने रामायण, महाभारत और पुराणोंकी कथा सुन ली। बारह वर्षकी आयुमे भगवतप्राप्तिके लिये व्याकुल रहने लगे । एक दिन रातके समय शिवालयमें बेठे हरिगुण गा रहे थे । उसी समय इन्हे देवगढ़में श्रीजनार्दन पन्तजी के पास जानेका दिव्य आदेश मिला । तत्कालही ये चल पड़े और तीसरे दिन देवगढ़ पहुँच गये । श्रीजनार्दन स्वामिने इन्हे अधिकारी जानकर अपना शिष्य बनाया । श्रीएकनाथजी छ: वर्ष तक गुरुसेवामें रहे । बड़ी तत्परतासे गुरुकी सेवा करते थे गुरुकी कृपासे ही इन्हे दतात्रेयका साक्षात् दर्शन हुआ । इसके बाद गुरुकी आज्ञासे शुभभज्जन पर्वत पर जाकर कठोर तप करते रहे. तप पूरा हो जाने पर फिर गुरुदेवके पास लोट आये । अब इन्हे गुरुदेवने संतदर्शन और भक्तिका प्रचार करनेके उदेश्यसे तीर्थयात्रा करने की आज्ञा द