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शिन्गोड़ा नदी के किनारे कनकाई माता II Kankai Mata Gir,

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गीर के घनघोर वन के बीच गीर अभ्यारण्य में शिन्गोड़ा नदी के किनारे सुविख्यात यात्राधाम कनकाई माता का मंदिर स्थित है. कनकेश्वरी माता का महिमा पुराना है . यहाँ आसपास सहस्त्र जितनी जाती के कुलदेव है . सौराष्ट्र के जो ख्यातनाम यात्राधाम है उसमे गीर वन के बीच में कनकेश्वरी –कनकाई माता का विशेष महत्व है . तदुपरांत गीर के बीच में स्थित इस तीर्थस्थल के पास सुंदर तथा अनन्य इतिहास है . गुजरात प्रदेश के राजा वनराज चावड़ा के परिवार में कनाकसिंह चावड़ा नामक राजा ने कनकावती नगर की स्थापना की थी . जो नगर के    कुळदेवी कनकाई थी . एक प्राचीन कथा के अनुसार मैत्रकवंश के कनकसेन नामक राजा ने इस नगर की स्थापना की थी. यह स्थल १५०० वर्ष के समयांतर को सूचित करते है . गीर के बीचमें नवनिर्माण किया हुआ भव्य मंदिर है . इस जगह का वहीवट तथा व्यवस्था कनकेश्वरी टेम्पल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है . इस स्थल पर चैत्र महीने की नवरात्रि के दिन धामधूम से मनाई जाती है . इस स्थल पर बिजली के लिए सौरपद्धति का इस्तेमाल किया जाता था सायंकाल छः बजे के पश्चात इस स्थल के मुख्य द्वार बंध हो जाते है और इस वनमें जान