संदेश

bhojaldjam. लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फतेपुरमें ठेबी नदीके किनारे भोजा भगत का आश्रम II Bhojaldham - Fatehpur (Amreli) - Gujarat

चित्र
भोजा भगत आश्रम राजकोटसे १२० किलोमीटर, अहमदाबादसे २५० किलोमीटर दुरी पर भोजा भगत आश्रम फतेपुरमें स्थित है. भोजा भगत के नाम से कोई अनजान नहीं है। अमरेली के लापलिया गाँव से पाँच किमी, फतेहपुर गाँव में भोजा भगत का एक आश्रम है। जलारामबापा को तो सब जानते ही हे , भोजाबापा जलारामबापा के गुरुदेव थे।   भोजा भगत का जन्म वैशाखी पूर्णिमा को ७-५-१७८५ को जेतपुर के पास देवकीगालोल गाँव में हुआ था। ‘चाबखा’ नाम के मौलिक काव्यकी उसने रचना की थी इसलिए उसे गुजरात के कबीर के रुपमे लोग जानते थे. उनके दर्शन करने के लिए बहुतसे लोग आते थे. भोजा भगतने अपना आश्रम अमरेली के पास फतेपुर गाँवमें अपना आश्रम बनाया था. उस वक्त के अमरेलीके दीवान विठलरावजी उनके शिष्य थे. उसके संबोधनमें गुजराती भाषामें गाये हुए पद ‘चाबखा’ नामसे प्रचलित थे उसमे ‘प्राणिया भजी लेने किरतार’ और ‘कछुआ और कछुइ’ के भजन गांधीजी को बहुत पसंद थे. संतभूमि सौराष्ट्र (गुजरात) में जेतपुरके पास देवकीगालोल के एक छोटेसे गाँवमें भोले ह्रदय के कृषणभक्त करशनभाई के घरमे भोजा भगत का जन्म सने १७८५ में हुआ था. उनके माता का नाम गंगाबाई था. भोजा भगत जन्म से लेकर १२ सा