संदेश

shivratri mela लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शिवरात्री मेला – २०२२ II Shivratri Mela 2022 - Junagadh

चित्र
    शिवरात्री मेला – २०२२  II Shivratri Mela 2022 जूनागढ़में शिवरात्रीका मेला का आयोजन हुआ है. पिछले दो साल कोरोना के बजह से यह मेले का आयोजन नहीं हुआ है! इस बार बहुत इच्छा हुई के मेले में जाये और दिगम्बर (नागा) साधू के दर्शन लाभ ले. दिनांक २७/२/२०२२ इतवार का दिन और एकादशी का दिन था ! सुबह १० बजे हम राजकोट से बाइकके में जूनागढ़के लिए रवाना हुए. तक़रीबन १२:३० बजे हम वहां पोहंचे. २ लाख से जियादा लोग वहां दर्शन और मेलेमें आये थे. बहुत भीड़का माहोल था. पहले हमने भगवान शिवके दर्शन के लिए भवनाथ पोहंचे. लाइनमें खड़े रहकर भवनाथ शिवलिंगके दर्शन किये. उसके आसपास ही दिगम्बर साधू के स्टोल लगे रहते है.       दर्शनके बाद हम दिगम्बर साधुओ के दर्शन के लिए गए. पुरे शारीर पर रुद्राक्ष धारण करने वाले बाबा आकर्षण का केद्र बने हुए थे. तक़रीबन १०० से जियादा साधू वहां मोजूद थे. हर साधूका अपना अलग अलग अंदाज़ था. एक साधू काँटों के जाडीमें बैठ कर डमरू बजा रहे थे. एक साधू जो के हठयोगी कहलाते है. वो अपना एक हाथ ऊपर रखते १५ साल से कभी ज़मीन पर नहीं बेठे. जुला रखते है और उस पर ही सोते है और एक हाथ ऊपर रखते है! कई साधूने तो

Shivratri Mela - Junagadh II जूनागढ़ सहरमे भवनाथ महादेव और गिरनारकी गोदमें शिवरात्री का अदभुत मेला

चित्र
Shivratri Mela - Junagadh महादेवजी की कृपासे पिछले ४ सालसे शिवरात्री के मेलेका लाभ प्राप्त हुआ हे उसका अनुभव यहाँ लिख रहा हु  राजकोटसे १०२ किलोमीटर की दुरी पर है जूनागढ़. राजकोटसे सुबह ७ बजे बाइक लेके हम निकले. रास्तेमे गोंडल, वीरपुर, जेतपुर और जूनागढ़ शहर पड़ता है, गोंडलमें चाय और नास्ता कर हम करीबन १० बजे जूनागढ़ पुहंचे गिरनार के गेटसे होकर दामोदर कुण्ड, अशोकका शिलालेख और अन्य जगह देखकर भवनाथ दर्शन के लिए पुहंचे. हम शिवरात्रीके अगले दिन वहा पुहंचे जिससे के भीड़ कम होती है प्रशासनके द्वारा अच्छी पार्किंग सुविधा उपलब्द है थोड़ी दुरी पर बाइक पार्क करने के बाद हमने भवनाथ महादेव के दर्शन किये उसके बाद बहार भवनाथ महादेव की चारो तरफ नागा साधूओ के पंडाल लगे हुए होते है देशभर के सभी नागा साधुओं शिवरात्री के अगले सप्ताहसे ही यही उपस्थित हो जाते है लोगोकी भीड़ शिवरात्री अगले दिन तक कम रहती हे आसपाससे दर्शन के लिए आये हुए दर्शनार्थी साधूके दर्शन करते हे और भेट और दक्षिणा अर्पण करते है . नागा साधू के दर्शन के लिए इनसे अच्छा स्थान शायद कोई हो, कुछ साधू काँटों पर बैठकर अपने आपको कष्ट देते है,