१०० सालकी आयु के काश्मीरी बापू का आश्रम – जूनागढ़ II Kashmiri Bapu Ashram - Junagadh



गिरनारकी तलेटीमें भवनाथ महादेवसे २ किलोमीटरकी दुरी पर गीरके  जंगलके क्षेत्रमै काश्मीरीबापूने आजसे तक़रीबन १०० सालसे ये आश्रम बनाया है और यहाँ पर दातारेश्वर महादेव की स्थापनाकी है बापूकी आयु कितनी है ये किसीको मालूम नहीं है पर बापु के मुख पर इतना तेज है जेसा किसी २० के २५ साल के नोजवान के मुख पर होता है'
एक बार मुझे अचानक कश्मीरीबापू के दर्शन की इच्छा प्रकट हुई राजकोटसे सुबहकी ८;०० बजेकी लोकल ट्रेनमें बेठ गया इतवारका दिन था ट्रेनमें थोड़ी भीड़ थी करीबन १०:३० बजे जूनागढ़ प्लेटफार्मपे ट्रेन रुकी, में प्लेटफार्मसे बहार निकला तो बहार ऑटोवाले सबको कह रहे थे चलो तलेटी, मजेवदी गेट, मुझे मालूम था तलेटी के पासमें कश्मीरीबापू का आश्रम है. तलेटीमें ऑटोसे निचे उतरा और पहले भवनाथ महादेव (जिसके कहानी आगे लिखेंगे) के दर्शन किये वहा से दक्षिणकी और २ किलोमीटर पैदल रास्ता है वेसे आश्रमकी गाडियोंको यहाँसे जाने की अनुमति है मगर लोगो को पैदल जाना पड़ता है रास्तेमें जाम्बुनके पैडसे जाम्बुन निचे गिरे हुए थे तो छोटे छोटे बच्चे उसे खा रहे थे  पैदलजाने का रास्ता १.५ से २ किलोमीटर है इसिलिये यात्रालूको कोई तकलीफ नहीं होती कुदरती सोन्दर्यसे भरपूर ये रास्ता है
रास्तेमें मुझे एक भाई मिले उसने मुझसे पूछा के यहाँ लोग क्यों आते है? यहाँ आनेके पीछे उसका उदेश्य क्या है? मेने उसे जवाब दिया के मेने कश्मीरीबापू का नाम सुना है और वह एक महान संत है उसने पूछा केसे पता चलता है के वो महान संत है? मेने कहा महान संत की पहचान यही है की इतने लोग उसके दर्शन के लिए आते है हालाकि में पहली बार ही दर्शन के लिए जा रहा था, मगर बापू के दर्शन के बाद ये विश्वास और दृढ हो गया  ११:३० बजे के आसपास में वहा पहुँच गया आश्रम एकदम शांत जगह पर है आसपासमें और कुछ नहीं है  थोड़ी सीडिया चड़ने के बाद आश्रम के प्रांगणमें दाई और तक़रीबन २०० लोग बापू के दर्शन के लिए बेठे थे और बाए और १५ और २० लोग ही थे में उस और चला गया: मुझे ऐसा लगा की बापू की आयु १०० साल के आसपास है उसे जियादा तकलीफ ना हो इसलिए भक्तो वहा बिठाया जाता है और २० मिनिट के बाद सबको लाइनमें आने के लिए कहा गया  में थोड़ी देर वही बेठा रहा भीड़ कम होनेका इन्तेज़ार करने लगा बापू एक रूमके अन्दर बेठे हुए थे बहारसे दर्शन होते है बापू के मुह पर ओक्सीजनका मास्क लगा हुआ था एक तेजस्वी पुरुष के दर्शन हुए इतनी उम्र होने के बावजूद उसके मुंह पे इनती चमक और लालश थी की हम उनसे प्रभावीत हो जाये बापूने अभी अभी खाना खाया था उसकी थाली और पानी पिनेका लौटा वही था उसे देख कर ऐसा लगता था के बापू बर्सोसे यह्नी पात्र उपयोगमें लेते होंगे और उसकी सादगीका पता वही चल जाता है, यहाँ उनके सेवकोने उनके लिए सभी सुविधाए उपलब्ब की है मगर बापू एकदम अलगारी दीखते है बापू बेड पर बेठे बेठे सबको आशीर्वाद देते है मेनेभी अपने आपको धन्य माना के बापू के आशिर्वाद प्राप्त हुए उसके बाद मंदिरमें दर्शन किये फोरेनसे एक साध्वीजी यहाँ पर सेवा दे रही है वो भी अपनी गददी पर बिराजमान होती है लोग उनके भी दर्शन करते हे
    दर्शन के बाद १२:३० का समय हो गया था सेवकोने लोगो को प्रसाद (खाने) के लिए आमंत्रित किया लोगोने वहा प्रसाद लिए मेनेभी प्रसाद लिया उसके बाद पूरा आश्रम ३० मिनिट देखा की कितना अदभुत स्थान है जंगल के बीचमें वर्तमानमें सब सुविधा उपलब्ध है मगर हम यदि ये सोचे के जब बापू यहाँ पर आये तो क्या स्थिति होगी केसे रहते होगे यहाँ पर, कहते है ना भगवान अपने भक्तो के लिए सब सरल कर देते है इसलिए ये आश्र्चर्य नहीं के बापू यहाँ केसे रहे होंगे.
      दर्शन के लिए आये हुए भक्तो अपने साथ गेहू, चावल, तेल और बिसरी चीज़े दान देनेके लिए साथ लाये थे आश्रम देख के ये लग रहा था की बारिशके मौसम में जब जियादा बारिश होती होंगी तब ये रास्ता बंद हो जाता होगा इसलिए कई गैस सिलिदर का स्टॉक किया हुआ था:
     दोपहरके ३ बजे पैदल रास्ता पर करके बहार निकला तो एक मालाधारी की बेटी वहा पर छास बेच रही थी तो मेने छास पी और आगेसे बस स्टैंड के लिए ऑटो रिक्शा लिया और वापस राजकोट आ गया.

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