१६०० सालसे भी पुराना गलधरा खोडियार मंदिर II Galdhara Khodiyar Temple - Dhari
सौराष्ट्र को संतो और शूरा की जमीन के रूपमें जाना जाता है. उसमे अनेक सतीभी शामिल है. उसमे श्री खोडियार माताजी का स्थान सबसे ऊपर है. खोडियार माताजी के कई भक्त है जो देश और विदेश में रहते है. इस कलियुगमें हनुमानजी और खोडियार माताजी को प्रगट देव माना
जाता है. दोनों देव का समरण करते ही भक्तो की पीड़ा हर
लेते है. सौराष्ट्रमें खोडियार माताजी के कही मंदिर है मगर खोडियार माताजी के सौराष्ट्रमें मुख्य ४ स्थान है. इसमें पहला स्थान है पुराना गलधरा
खोडियार मंदिर.
अमरेली जिले के धारी गाँवसे ५ किलोमीटरकी दुरी पर गलधरामें खोडियार माताजी मंदिर शेत्रुंजी नदी के किनारे पर स्थित है. नदी पर सौराष्ट्र का सबसे गहरा बाँध बनाया गया है. उसका नाम भी माताजी के नाम
पर रखा गया है खोडियार बांध. माताजी के स्थान के पास मनोरम्य
स्थान की सुंदरतामें और वृद्धि करती है यहाँ की चट्टानें. नदी के अन्दर बहुत गहरा
पानी का धरा है. धरा के बाजूमे बहुत बड़ी चट्टानें हे इसके पासमें रायन के पेड
के नीचे माताजी बिराजमान है यहाँ थोड़े साल पहले बड़ा मंदिर बनाया गया है रहने के लिए यहाँ सभी इन्तेजाम है. पासमे
गुजरात सरकार द्वारा आम्बरडी सफारी पार्क बनाया गया है जिसकी बजह से रात को यहाँ
सिंहकी गर्जना साफ़ सुनाई देती है. माताजी के मंदिर के निचे गलधरा है. जिसमे १२
महीने पानी रहता है और दुष्काल भी हो तो इस धरामें पानी होता है.
रायन का पेड भी १६०० साल पुराना है और हराभरा है. पेड के
निचे माताजी का प्रागटिय स्थान है. हर रविवार के दिन धरा के पानी से माताजी को
स्नान करा कर श्रींगार किया जाता है. माताजी की प्रतिमा की बड़ी बड़ी आँखे देवत्वसे
भरपूर है. माताजी की लापसी बनाकर प्रसाद दिया जाता है धरा के पवित्र जलसे भोजन
बनाया जाता है. यहाँ भोजन की भी सुविधा उपलब्द है.
एक पौराणिक कथा अनुसार बहुत समय पहले यहाँ एक दैत्य था. खोडियार
माताजी और उनकी सात बहनों इस दैत्य को खांडनीमें डालकर पिस दिया था. उसके बाद
माताजी ने यहाँ अपना मनुष्य देह इस धरामें डाला. जब उस का देह गले तक अन्दर था और
सिर्फ गले के ऊपर का भाग ऊपर था तो इसका नाम गलधरा हुआ आजभी यहाँ माताजी का यह
स्वरुप बिराजमान है. माँ के मस्तक की यहाँ पूजा होती है. बहुतसे संतो को यहाँ
माताजी के कन्या के रूपमें दर्शन हुए है.
जूनागढ़ के राजा रादयास की उम्र ४४ साल की हो गई थी मगर उसे
पुत्रकी प्राप्ति नहीं हुई थी. उसके पटरानी सोमलदेवे माताजी के पास पुत्र के लिए
याचना की और माँ खोडियार की कृपासे उन्हें रा’नवघन नामक पुत्र की प्राप्ति हुई. इसलिए
जूनागढ़ की राजगदी को वारसदार मिला तबसे चुडासमा राजपूत खोडियार माताजी को कुलदेवी
के रूपमें पूजते हे.
नवघनको भी माताजीने यही पर दर्शन दिये थे. नवघन अपनी बहन
जासल के पास जा रहा था. उसका घोडा २०० फिट की उचाई पर से नदी में गीर पड़ा. तब
माताजी ने उसकी रक्षा की. वो स्थान धरा से थोडा दूर है. नवघन अपने रसाले के साथ
यहाँ दर्शन करने बार-बार आते थे.
बाँध का द्रश्य ऊपर से बहुत खुबसूरत दीखता है. यहाँ पर
खुबसूरत जरने दिखने को मिलते है. बारिश के बाद के समय बहुत मनमोहक होता है. माताजी
को मिन्नत के लिए लापसी बने जाती है. खोडियार माताजी से २ किलोमीटर की दुरी पर
हिंगलाज माताजी का मंदिर बहुत आकर्षित करता है.
माताजीसे जुडी चमत्कारिक बाते भी लोगो के मुहसे सुनने मिलती
है. एक बार बाँध का निर्माण कार्य शुरू था. पुरे दिनमें बांधकाम का काम चलता था.
मगर दुसरे दिन सुबह जब बाँध के कर्मचारी
जब वहां पुहंचते तो बांधकाम पूरा नष्ट हो जाता था. इस बांधकाम के सबूत आजभी मौजूद
है इतना ही नहीं एक बार एक कामदार ने माताजी का मुकुट चुराया और बाँध तक पोहचा तो
वो अंध हो गया. थोड़े साल पहले मंदिर का निर्माण कार्य शुरू था तब माताजी लकड़ीके नकाशीवाले
मंदिर में बिराजमान थे और माताजी को दुसरे कमरेमें बिठाया गया.दुसरे दिन सबुह देखा तो माताजी कमरे की दीवाल को तोड़कर
पुन: उसी जगह पर बिराजमान हो गए. आज भी उस
जगह का गर्भ गृह यहाँ मौजूद है. कुछ समय
के बाद माताजी की आँखों में थोडा सा दरार
हो गई थी. उसे जब पुजारीने निकालनी चाही तो आँखोंसे रकत की बुँदे टपकने लगी. ऐसे
कही चमत्कार माताजीने किये हे.
यहाँसे राजकोट की दुरी १३० किलोमीटर, अमरेलीसे ४५ किलोमीटर
और अहमदाबाद से २८५ किलोमीटर है
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें