हनुमान दांडी - द्वारका II Hanuman Dandi Dwarka
Hanuman Dandi - Dwarka
द्वारकासे ३० किलोमीटर की दुरी पर बेट द्वारिका द्वीप है । वहाँ जाने के लिए बोट की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ श्री कृष्णजी का मंदिर है यहाँ से ३ किलोमीटरकी दुरी पर हनुमानजी का विश्व विख्यात मंदिर है । जिसका नाम हनुमान दांडी है इस मंदिरमें हनुमानजी और उसके पुत्र मकरध्वजजी की प्रतिमा स्थापित है जो दुनियाके किसीभी मंदिरमें नहीं है । दुनियामें ये एक ऐसा मंदिर है जहा हनुमानजी के साथ उसके पुत्रकी प्रतिमा है । ऐसी मान्यता है की पहले मकरध्वजकी प्रतिमा हनुमानजी की प्रतिमासे छोटी थी मगर अब दोनों प्रतिमा सामान है । यह ऐसा स्थान है जहाँ पहली बार हनुमानजी और मकरध्वजजी का मिलाप हुआ था यह स्थान हनुमान दांडीके नाम से प्रसिद्ध है ।
मंदिर के अन्दर प्रवेश करते ही सामने मकरध्वजजी की प्रतिमा है और उसके पासमे
हनुमानजी की प्रतिमा है प्रतिमा के हाथमे कोई भी शस्त्र नहीं है दोनों आनंदकी
मुद्रामें है ।
अपने ग्रंथोमें मकरध्वजजी को हनुमानजी के पुत्रके रूपमें उल्लेख किया है । कथा के अनुसार हनुमानजी जब लंकामें सीताजीको खोजने के लिए
जाते है और मेघनाद के द्वारा उसको बंदी बनाया जाता है और रावण उसके पुंछमें आग
लगाता है हनुमानजी पूरी लंका नगरी को जलाकर समुन्दर के किनारे पुंछमें लगी आगको
बुजाने के लिए जाते है तब उनके पसीनेकी एक बूंद समुन्दरमें गीर जाती है । और यह बूंद एक मछली निगल जाती है और उसे गर्भ रहता है उसीसे
मकरध्वज का जन्म होता है मकरध्वजजी भी हुनामनजी की तरह वीर और पराक्रमी थे ।
अहिरावण के द्वारा मकरध्वजको पाताललोक का द्वारपाल बनाया जाता है । अहिरावण जब श्री
राम और लक्ष्मण को बंदी बनाकर यहाँ ले कर आता है तब उसे बचानेके लिए हनुमानजी आते
है और मकरध्वजके साथ उसका युद्ध होता है । युद्ध हारने के बाद हनुमानजी मकरध्वजजी को पूछसे बाँध देते है तब मकरध्वज
अपने उत्पतिकी कथा हनुमानजी को सुनाते है । हनुमानजी अहिरावण का वध करने के बाद
मकरध्वजको पाताललोक के अधिपति बनाते है और उसे धर्मके मार्ग पर चलनेकी शिख देते है
हनुमान दांडी मंदिर बेट द्वारकामें स्थित है यात्रालू और श्रधालु एक बार इस
मंदिर के दर्शन का लाभ प्राप्त करे
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