गोपनाथ महादेव - भावनगर II Gopnath Mahdev - Bhavnagar




सौराष्ट्र संतो का प्रदेश है यहाँ पे जगह जगह पर मंदिर और संतोकी जगह देखनेको मिलती है और सौराष्ट्रके समुद्र किनारेपे कई जगह है. जिसमे प्रख्यात द्वारिका,हर्षदमाताजी,सोमनाथ,गंगेश्वर, भवानी मंदिर, ऊँचा कोटडा, गोपनाथ मंदिर और भी कई ऐसी जगह है. आज हम बात करेंगे गोपनाथ महादेव मंदिर की. २०१९ जन्माष्टमीकी ३ दिन की छुटिया थी. हम सुबह राजकोटसे आटकोट और वहाँसे बाबरा तक़रीबन सुबह ९.०० बजे पुहंचे. वहाँ हमने चाय नास्ता किया वहासे लाठी होकर अतान्लेश्वर महादेव गए वहा दर्शन किया. वहासे हम अपने सुरपुरा दादाके दर्शन के लिए क्रकाच गए. तक़रीबन १२.३० बजे थे. वहाँसे हम रूपावटी शामलाबापू के आश्रम तक़रीबन २ बजे पुन्ह्चे. हमने वहा दर्शन किये (रूपावटी की कहानी अगले ब्लॉगमें लिखेंगे) हम जब वहा पुन्ह्चे तब प्रसाद(भोजन)का टाइम पूरा हो गया था मगर वहा सेवाकोने फिरसे हम और दुसरे २० लोगोको भोजन कराया. तक़रीबन ४ बजे वहासे निकलकर पलिताना होकर शाम के ७ बजेके करीब हम गोपनाथ महादेव पुहंचे.
समन्दरके किनारे पर आलिशान मंदिर का निर्माण किया गया है. हम को रातमे यह्नी रुकना था. समन्दर के किनारे पर ३ और ४ पुराने बिल्डिंग है वहा रहने का इन्तेजाम किया गया. रातको यहाँ पासमे भोजनके लिए ढाबा था वहा हमने पहलेसे भोजन के लिए बोल दिया था रात को ९ बजे भोजन किया और हमने बरफ के गोले का मजा लिए उसके बाद समन्दर किनारे बेठे.
सुबह तक़रीबन ७ बजे आरतीके समय हम मंदिरमें गए वहा हमने गोपनाथ महादेव के दर्शन किये और ब्राह्मण द्वारा मंदिरमें पूजा कराइ गई. भावनगर जिल्लेमें तलाजा तालुकामें २२ किलोमीटर दूर समन्दर किनारे गोपनाथ नाम का गाँव हे पांड्वोने अपने गुप्तवासके दौरान गोपनाथ महादेवका निर्माण किया था. तलाजा के गोपनाथ मंदिरमें गुजराती कवी नरसिंह मेहता साधना करनेके लिए आते थे. नरसिंह मेहता को यहाँ भगवान श्री कृष्णाके रासलीला के दर्शन हुए थे. दिवादांडीके पास भावनगर के राजा द्वारा बंगलोका निर्माण किया गया था जो आज विजय विलास पैलेस होटल बनाया गया हे. इस जगह पर अरबी समन्दर और खंभात का अखात मिलते हे. इस बीच पर सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों एक जगह देखने को मिलते हे इ.स. १४७०में सोमनाथ महादेवके जेसे खंडित करने का प्रयास किया गया लेकिन यहाँके राजवी कशियाजी और उसकी सेनाने युद्ध करके वीरगति प्राप्त की. आजभी उसकी समाधी यहाँ मोजूद है. ६०० साल पहले यहाँ के राजा लखधीरसिंहजी ने महादेवजी के चरणोंमें १३०० बीघा ज़मीन दान की थी.
राजकोटसे गोपनाथ महादेवकी दुरी २०० किलोमीटरकी है और भावनगरसे गोपनाथ महादेवकी दुरी ७५ किलोमीटर है 

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