समन्दर के अन्दर निष्कलंक महादेव - भावनगर II Nishkalank Mahadev Temple - Bhavnagar II

निष्कलंक महादेव 

भावनगरसे २४ किलोमीटरकी दुरी पर कोलियाक गाँव है. इस गाँवके समन्दर के किनारे पांड्वो  द्वारा स्थापित निष्कलंक महादेव बिराजमान है. कथा के अनुसार महाभारत के युद्धमें पांड्वो के हाथसे भीष्म पितामह, गुरु द्रोन और १०० कोवरो के आलावा बहुतसे अपने लोगो का वध हुआ. इस पापसे मुक्त होने और निष्कलंक होने के लिए समुन्दर के अन्दर निष्कलंक महादेव की स्थापनाकी है, श्रद्धालु इस शिवलिंग के दर्शन के लिए जब समुन्दरमें ओट आती है तभी जा सकते है.
रुषी दुर्वासाके कहने अनुसार पांड्वो काले रंगकी ध्वजा लेकर निकले थे और और कोलियाके पास आते ही ध्वजा सफ़ेद रंग की हो जाती है. यही पांड्वोने स्नान किया और शिवजीकी पूजा- आराधना की और यही पर शिवजीने पांड्वोको साक्षात् दर्शन दिये और कहाकी यहाँ पर रेतका शिवलिंग बनाए और इस जगह पर आपका कलंक उतारा गया है इसलिए ये जगह निष्कलंकके नामसे जानी जाएँगी. तबसे यह जगह निष्कलंकके नामसे विख्यात है गुजराती भाषामें उसे नक्लंक के नामसे जानते है
यहाँ सावन और भादरवा मास की अमासमें मेला होता है. भावनगर और इसके आसपासके गाँवके लोगो इस मेलेमें दर्शनके लिए आते है. निष्कलंक महादेवके दर्शन समन्दरकी भरती पर आधारित है. जब समंदरमें ओट आती है तब यहाँ दर्शन हो सकते है. जब समन्दरमें भरती आती है तब पूरा मंदिर समन्दरमें डूब जाता है दर्शन नहीं हो सकते. सिर्फ मंदिरकी ध्वजाही दिखती है. इसकी बजह से इस मंदिर का बहुत विकास नहीं हो पाया है मगर ओटके दिनोंमें कृष्णापक्षमें यहाँ बहुत श्रद्धालु दर्शनके लिए आते है.
निष्कलंक महादेवके आसपास बहुतसे यात्राधाम और पर्यटनकी जगह है . जिसमेसे भावनगरमें अर्बन फारेस्ट, हिलपे तख्तेश्वर महादेव, जौसोनाथ महादेव मंदिर, मस्तराम बापू आश्रम, गोलीबार हनुमान, रुवापरी माताजी और २४ किलोमीटर दूर राजपरा खोडीयार, ६५ किलोमीटरकी दुरी पर पालिताना जैन तीर्थ, ७० किलोमीटर की दुरी पर बजरंगदासबापू आश्रम और शामलदास बापूका रूपवटी भी इतनाही दूर है और सुप्रसिद्ध सारंगपुर हनुमान यहाँसे १०५ किलोमीटरकी दुरी पर है, पालियाद और गढ्डाभी इतना ही दूर है.

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