आशापुरा माताजी का पौराणिक भव्य मंदिर - माता का मढ़ II Ashapura Mataji Temple - Mata no Madh
कच्छ
जिल्ले में भूज से पश्चिम तरफ जाने से नखत्राणा तालुका में मढ़ नामक गाँव स्थित है.
इस गाँव में आशापुरा माताजी का पौराणिक भव्य मंदिर है. यह मंदिर में आशापुरा
माताजी की प्रतिमा साक्षात प्रगट होने का माना जाता है. इस स्थल पर भूज से अथवा
नखत्राणा से बस के द्वारा जा शकते है. यह मंदिर की प्रतिमा पर्वत में से बनाई है. मूल
मंदिर के स्थान पर लाखा फुलाणी नामक व्यक्ति के पिता के लोग ने यह बड़े मंदिर की
स्थापना की थी. सन १८१९ में भूकंप से मंदिर को नुकशान होने से सन १८२४ में इस
मंदिर का समारकाम हुआ.
मंदिर
की पूजा प्राचीन संप्रदाय के कापड़ी नामक अनुयायी करते है. माता के सेवक को राजा
बनाया जाता है. कापड़ी को रोराशी का पद दिया जाता है. परंपरा एसी है की रोराशी के
मरने पर राजा का चेला रोराशी बनता है और राजा के मरने पर रोराशी राजा बनता है.
कापड़ी के लिए ब्रह्मचर्य व्रत आवश्यक है.लोकसेवा धर्म है.
जब
जब महाराव मंदिर में दर्शन के आते है तब प्रथम राजा को नमस्कार करने जाते है. आसो
सुद पूनम के दिन यहाँ हवन आठमी का मेला होता है. मढ़ के पास जगारोभिर नामक जगह पर
जगोरिया आशपुरा का मंदिर तथा गुगालिआणा नामक जगह पर गुगली माता का मंदिर स्थित है.
तलमढ में चाचरा नामक कुंड है और चाचरमाता का महिमा प्रथम स्थान पर है. कच्छ में
आशापुरा माता को बहुत श्रद्धा से माना जाता है. लायजा नामक स्थल के पास खारोड़ का
जहा सागरसंगम होता है वहा ८३ फूट ऊँचे शिखर पर आसार नामक स्थल है.
आसार के दर्शन करने से उसकी श्रद्धा और आशा
पराकाष्टा तक पहुचें है. माँ आशापुरा भक्तो की आशा पूर्ण करती है इसलिए ही
श्रद्धालु भक्त माँ के दर्शन लिए आते है.
नवरात्रीके
समय बहुतसे भक्तो माता के दर्शन के लिए पैदल चलकर आते है, मुंबईसे कई लोगो पैदल और
साइकिल पर आते हे.
यात्रिको
के लिए यहाँ भोजन और रहने की सभी सुविधाए उपलब्ध है.
यह
स्थानक भुज से १०० कि.मी. के अंतर पर और नखत्राणा से ३८ कि.मी. के अंतर स्थित है.
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