जैनधर्मीओ के लिए सबसे बड़ा तीर्थस्थल पवित्र पलिताना धाम II Palitana Jain Dham



भारतभर के तमाम जैनधर्मीओ के लिए सबसे बड़ा तीर्थस्थल का मतलब पवित्र पलिताना धाम. पलिताना के शेत्रुंजय पर्वत पर स्थित जैन मंदिर विश्वविख्यात है . प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ श्री रुशभादेवजी के मुख्या मंदिर से लेकर दुसरे ८६३ मंदिरों की यहाँ स्थापना हुई है. शेत्रुंजय शिखर पर चढ़ने से पहले दो भाग में विभाजित मंदिर है. दोनों भाग लगभग ३८० वार लम्बे है . यह भाग में १० हार है. सब हार कोट से सज्ज की गई है . मंदिर के द्वार सायंकाल को बंध हो जाते है .

पूर्व परिचय
 
शेत्रुंजय नदी के दक्षिण किनारे पर स्थित यह शहर पूर्वे राजधानी था . पलिताना में सभी राजा मूल सेजकजी के पुत्र शाहजी गोहेल के वंश से स्थित है . गोहिलो ने प्रथम गारियाधार में अपनी सत्ता स्थापना की. तत्पश्चात पालिताना को राजधानी का शहर बनाया . अति प्राचीन नगर पालिताना का नाम जैन आचार्य पाद्लिप्तसुरी के नाम पर से रखा होने का मानने में आता है .

शेत्रुंजय पर्वत
 
१८०० फूट की उचाई पर स्थित आदिनाथ भगवान तक पहुचने के लिए ३७४५ सीडियां चढ़नी पड़ती है . पर्वत पर के हर देरासर के पीछे कुछ न कुछ इतिहास छुपा हुआ होता है . १२९६ में वस्तुपाल ने इस पर्वत पर सीडियां बनाई है और तलेटी में ललितसागर सरोवर बांधा था . वृद्ध और अशक्त लोगो के लिए मंदिर पर जाने लिए डोली की व्यवस्था है .

अन्य मंदिर
 
·      भैरवनाथ के पास राजबाई माता का मंदिर है . पृथ्वीराज चौहान ने माताजी स्थापना करने के पश्चात मंदिर तथा सरोवर की स्थापना की . जो आज भवानी सरोवर के नाम से प्रसिद्द है ·      उपरांत भुलेश्वर महादेव का मंदिर , भवानी माता का मंदिर, भैरवनाथ मंदिर तथा दिगम्बर जैनों का मंदिर है  तथा पालिताना मंदिर नगरी है .
·      पालिताना से २० कि.मी. दूर हस्तगिरी पर्वत पर एक विशाल मंदिर का निर्माण किया गया है जिसकी उचाई १२५० फूट है .

यहाँ देश-विदेश के अनेक यात्रिक आते है . रहने-खाने के लिए यहाँ १५० से ज्यादा धर्मशालाए है. पालिताना श्रध्दा की नगरी तथा दर्शनीय स्थल है . सौराष्ट्र के प्रवास के आयोजन में अचूक स्थान है .
यहाँ के मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा, फागुन सुद-१३ ,चैत्री पूर्णिमा, वैशाख सुद-३ के दिन पर बहुत उत्साह से यह सब उत्सव मनाए जाते है तब यहाँ पर हजारो तीर्थयात्री आते है . पर्वत पर रात्रि को रुकना शक्य नहीं है . इसलिए सुबह जाकर शाम को वापस आ शकते है. एक से दो घंटे का समय वहाँ पर जाते समय लगता है .
पालिताना में हार्मोनियम के रीड बनाने की बहुत सारी फेक्टरीयां है .

मार्ग अंतर
 
अहमदावादसे २१४ कि.मी. राजकोटसे १७०. की.मी,जुनागढ़ १९२ कि.मी. , पोरबंदर २९२ कि.मी. .

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

१०० सालकी आयु के काश्मीरी बापू का आश्रम – जूनागढ़ II Kashmiri Bapu Ashram - Junagadh

गीरनार की गोद में भवनाथ महादेव - जूनागढ़ II Bhavnath Mahadev - Junagadh

१६०० सालसे भी पुराना गलधरा खोडियार मंदिर II Galdhara Khodiyar Temple - Dhari