टपकेश्वर महादेव - गुफा जंगलमें II Tapkeshwar Caves in Gir Jungle

राजकोटसे करीबन २०० किलोमीटर दूर - धारी और जामवाला हो के और- दूसरा रास्ता है जूनागढ़ से सासन हो के और उना की औरसे करीबन २५ किलोमीटर के दुरी पर पहाड़ी इलाकोंमें टपकेश्वर महादेव बिराजमान है उनासे गिरगढ़डा और वहा से ३ किलोमीटर दूर बाई और रास्ता जंगलकी और जाता है बारिशके मौसममें आपको सुंदर नज़ारा देखनेको मिलता है मंदिर तक वाहन नहीं जा सकते है मंदिरसे १ किलोमीटरकी दुरी पर वाहन रखना पड़ता है और वहा से पैदल जाना होता है छोटी पहाड़ी पर आते ही आसपासका की प्रकृति का नज़ारा देखने को मिलता है  पहाड़ी पर ऐसा अदभुत नज़ारा देख कर ऐसा लगता है यही बेठे रहे कही पर भी ना जाये पहाड़ी पर वनविभाग के द्वारा चोकी बनाई गए है जहा से वो आते जाते लोगोपे नज़र रख सके और ज़रूरत पड़ने पर उनकी सहायताभी कर सके क्योंकि यह जंगल का एरिया यहाँ पर जंगली जानवर अक्सर पाए जाते है फारेस्ट चोकी से निचे उतरते ही निचे टपकेश्वर की गुफा दिखने लगती है ऊपर से देखो तो ज़मीन और पैड है दिखाई देते है मगर पास जा कर देखे तो जमीन के निचे बहुत ही अच्छी गुफा का निर्माण किया हुआ है निचे जाने के लिए २५ से ३० सीडिया बनाई गई है एक और महंतजी के लिए रहने के लिए जोपडी बनाई गई है और सीडी के सामनेही टपकेश्वर महादेव के लिए गुफा बनाई गई है : वह जगा इतनी छोटी है की आपको उसके अन्दर जुकके जाना पड़ेगा अन्दर शिवलिंग बना हुआ है गुफा अन्दर से करीबन ३० फीट लम्बी और ३० फीट चौड़ी है शिवलिंग के ऊपर गुफा की छतसे लगातार पानी बूंद बूंद से टपकता रहता है इसलिए इसे टपकेश्वर महादेवसे जाना जाता है:

कहते हे की यह गुफा पांडवके भाईमें से एक भीमने अपने हाथोसे बनाया है  यह गुफा ५००० साल से भी ज्यादा पुरानी है अन्दर गुफा के आसपास ऐसे अदभुत चित्रों को बनाया गया है जो आप तस्वीरमें देख सकते है आप देख सखते है के कैसे डिजाईन गुफा के अन्दर बनाइ गइ है हम लोगोनी शिवलिंग के दर्शन किये

बादमें चाय के लिए महंतजी के पास गए और उनसे थोड़ी बातचीत की रहने और खाने के लिए यहाँ सुविधा उपलब्ध नहीं है मगर यहाँ से ६ किलोमीटर दूर गिरगढडा और वहासे आगे २० किलोमीटर उना और दिवमें यह सब सुविधाये उपलब्ध है हम वहासे निकले तो शाम का समय था दिन ढल गया था हम पहाड़ी उतर रहे थे इतनेमे शेरोके दहाड़नेकी आवाज़ आनी शुरू हो गई लगता था के बहुत दूर नहीं है पासमें ही है आसपासमें कोई नहीं था सब चले गए थे हमभी वहासे निकल गए. 

 

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